बस्स...रिमेम्बर मी...
वो लड़के के उँगलियों से खेल रही थी. उसी उँगली से जिसपर कुछ देर पहले लड़की
की शैतानी की वजह से एक हलकी खराश लग गयी थी, और लड़की ने अपने बैग से लाल
रिबन निकाल कर लड़के के उस उँगली पर बाँध दिया था. वो लड़के की उँगली को हाथ
में लेकर, अपनी आँखें बंद कर के जाने कौन सा मंतर पढ़ रही थी, या शायद खुद
से बातें कर रही थी...
“ये क्या पागलपन है, बस एक छोटी सी खराश ही तो है, ये रिबन बाँधने की क्या जरूरत है?”, लड़के ने कहा.
लड़की शायद चिढ़ गयी इस बात से. वो अजीब शक्ल बनाकर लड़के को देखने लगी. थोड़ी देर चुप रही वो और फिर मुहँ बिचकाकर कहती है..
“जाओ मिस्टर ये मेरा फेवरिट दुपट्टा है, तुम्हारी इस स्टुपिड उँगली की वजह से मैं अपना दुपट्टा फाड़ दूँ? ना...नेवर..! और दूसरी बात ये कि फिल्म में जाने क्या गलत-सलत दिखाते हैं. पता नहीं फिल्म में कैसे हीरोइन अपने दुपट्टे या साड़ी के पल्लू को इतने आसानी से फाड़ लेती है, और वो भी इतना ऐक्यूरट कि हीरो के उँगली पर उसके साड़ी के पल्लू का वो टुकड़ा एक बैंड-एड की तरह फिट आये, न बड़ा न छोटा. मुझे तो लगता है जरूर हीरोइन के उँगलियों में ब्लेड लगा होता होगा, वरना इतने आसानी से साड़ी या दुपट्टे का पल्लू फटता है क्या? मुझसे तो नहीं फटता, इसलिए मैंने आसान उपाए सोचा, ये रिबन बाँध दिया..!
उँगली में बंधे रिबन का एक सिरा हाथ में लेकर वो कहने लगी... जानते हो इस दुनिया में कितनी ही छोटी छोटी चीज़ें हैं जिनके बारे में हम नहीं सोचते, लेकिन अगर देखो तो वो कितने मायने रखती है. एक साधारण सा लाल रिबन, एक रिंग, एक किताब, कुछ कवितायें, किसी कागज़ पर पड़े कुछ कॉफ़ी के धब्बे, किसी के बोले महज दो शब्द ‘रिमेम्बर मी’..! कभी कभी इंसान के लिए कितनी जरूरी सी हो जाती हैं ये छोटी छोटी बातें, ये तुमने सोचा है कभी? कुछ के लिए तो अपनी ज़िन्दगी वापस पाने का ये जरिया बन जाती हैं.
तुम्हें वो फिल्म तो याद होगी न जिसमें भविष्य की कहानी थी, जिसमें दिखाया गया था कि आज से बहुत साल बाद कुछ ऐसा होगा कि लोग इमोशनलेस हो जायेंगे. एक ऐसा विश्व युद्ध होता है उस फिल्म में, जिसके बाद दुनिया से प्यार, मोहब्बत, एहसास सब खत्म हो जाते हैं. जहाँ इमोशनल होना एक अपराध माना जाता है. हँसने वालों को रोने वालों को प्यार करने वालों को पकड़ लिया जाता है, रस्सी से जकड़ा जाता है, कोड़े बरसाए जाते हैं उनपर, मार दिया जाता है उन्हें. ऐसी दुनिया बन बन जाती है. हँसना, रोना, गाना, नाचना, कहानियां पढ़ना, किताबें पढ़ना, कवितायें पढ़ना... सब अपराध हो जाता है उस दुनिया में. यहाँ तक कि अपनी पसंदीदा पेंटिंग रखना भी या अपने बीवी, प्रेमी या बेटे बेटियों की तस्वीर पास में रखना भी गुनाह माना जाता है, और जिसकी सज़ा बस मौत होती है.
वो फिल्म याद है तुम्हें?? जहाँ लड़की की दी हुई अंगूठी को छूते ही उस लड़के को अपनी पिछली कहानी याद आ जाती है? और वो उस लड़की को याद कर के रोने लगता है. वो फिर कैसे ढूँढ लाता है उस लड़की को, या फिर वो फिल्म ही ले लो, जिसमें लड़की के किताब में पड़े एक सूखे गुलाब के फूल को छूते ही वो एकदम से कैसे बेचैन हो जाती है, एक एक कर के उसके आँखों के सामने उसकी सारी पुरानी स्मृतियाँ वापस आने लगती है और अगले ही दिन वो निकल जाती है मीलों दूर अपने उस दोस्त को खोजने के लिए जिसने उसे वो गुलाब का फूल दिया था.
“ये क्या पागलपन है, बस एक छोटी सी खराश ही तो है, ये रिबन बाँधने की क्या जरूरत है?”, लड़के ने कहा.
“देखो, मेरे बैग में एक बैंड-एड भी रखा है, मैं चाहती तो तुम्हारी उँगली पर
उसे भी बाँध सकती थी, लेकिन वो कितना अन-रोमांटिक होता.. कम से कम थोड़ा तो
फ़िल्मी टाइप फील लेने दो मुझे. देखते नहीं कैसे हीरोइन हीरो की कटी उँगली
पर अपने साड़ी के पल्लू का एक हिस्सा फाड़ कर बाँध देती है?
“अच्छा, तुम तो लेकिन साड़ी नहीं पहनी हो, चलो साड़ी न सही, अपने दुपट्टे का ही कोना फाड़ कर बाँधती. और भी फ़िल्मी टाइप फील आता न?”.
लड़की शायद चिढ़ गयी इस बात से. वो अजीब शक्ल बनाकर लड़के को देखने लगी. थोड़ी देर चुप रही वो और फिर मुहँ बिचकाकर कहती है..
“जाओ मिस्टर ये मेरा फेवरिट दुपट्टा है, तुम्हारी इस स्टुपिड उँगली की वजह से मैं अपना दुपट्टा फाड़ दूँ? ना...नेवर..! और दूसरी बात ये कि फिल्म में जाने क्या गलत-सलत दिखाते हैं. पता नहीं फिल्म में कैसे हीरोइन अपने दुपट्टे या साड़ी के पल्लू को इतने आसानी से फाड़ लेती है, और वो भी इतना ऐक्यूरट कि हीरो के उँगली पर उसके साड़ी के पल्लू का वो टुकड़ा एक बैंड-एड की तरह फिट आये, न बड़ा न छोटा. मुझे तो लगता है जरूर हीरोइन के उँगलियों में ब्लेड लगा होता होगा, वरना इतने आसानी से साड़ी या दुपट्टे का पल्लू फटता है क्या? मुझसे तो नहीं फटता, इसलिए मैंने आसान उपाए सोचा, ये रिबन बाँध दिया..!
उँगली में बंधे रिबन का एक सिरा हाथ में लेकर वो कहने लगी... जानते हो इस दुनिया में कितनी ही छोटी छोटी चीज़ें हैं जिनके बारे में हम नहीं सोचते, लेकिन अगर देखो तो वो कितने मायने रखती है. एक साधारण सा लाल रिबन, एक रिंग, एक किताब, कुछ कवितायें, किसी कागज़ पर पड़े कुछ कॉफ़ी के धब्बे, किसी के बोले महज दो शब्द ‘रिमेम्बर मी’..! कभी कभी इंसान के लिए कितनी जरूरी सी हो जाती हैं ये छोटी छोटी बातें, ये तुमने सोचा है कभी? कुछ के लिए तो अपनी ज़िन्दगी वापस पाने का ये जरिया बन जाती हैं.
तुम्हें वो फिल्म तो याद होगी न जिसमें भविष्य की कहानी थी, जिसमें दिखाया गया था कि आज से बहुत साल बाद कुछ ऐसा होगा कि लोग इमोशनलेस हो जायेंगे. एक ऐसा विश्व युद्ध होता है उस फिल्म में, जिसके बाद दुनिया से प्यार, मोहब्बत, एहसास सब खत्म हो जाते हैं. जहाँ इमोशनल होना एक अपराध माना जाता है. हँसने वालों को रोने वालों को प्यार करने वालों को पकड़ लिया जाता है, रस्सी से जकड़ा जाता है, कोड़े बरसाए जाते हैं उनपर, मार दिया जाता है उन्हें. ऐसी दुनिया बन बन जाती है. हँसना, रोना, गाना, नाचना, कहानियां पढ़ना, किताबें पढ़ना, कवितायें पढ़ना... सब अपराध हो जाता है उस दुनिया में. यहाँ तक कि अपनी पसंदीदा पेंटिंग रखना भी या अपने बीवी, प्रेमी या बेटे बेटियों की तस्वीर पास में रखना भी गुनाह माना जाता है, और जिसकी सज़ा बस मौत होती है.
उसमें जो नायक है, वो उसी निर्दयी पुलिस का हिस्सा है जो इमोशनल लोगों पर
अत्याचार करते हैं, उन्हें पकड़ते हैं और उन्हें मार देते हैं. लेकिन कुछ
ऐसा होता है फिल्म के नायक के साथ जिससे उसमें वापस से वही एहसास जीवित हो
जाते हैं, उसमें फिर से प्यार जागने लगता है. जानते हो न कैसे? उसकी बीवी
के एक लाल रिबन से, जिसे वो अपने पॉकेट में बाकी पुलिस वालों से छुपा कर रख
लेता है, अपने दोस्त के पास मिली एक कविताओं की किताब से, जिसे वो पढ़ता
है हर रात, उस छोटे से प्यारे से ‘पपी’ के वजह से, जिसे उन निर्दयी पुलिस
वालों से बचा लाता है अपने पास, अपनी बीवी के कहे दो शब्द ‘‘रिमेम्बर मी’
से, जो उसे तब याद आता है जब वो उस लाल रिबन को अपने हाथों में लेता है.
सोचो ज़रा, यही वो व्यक्ति था जिसे अपने दोस्त को मारने का हुक्म मिला था.
इसके दोस्त की बस इतनी खता थी कि उसमें एहसास जीवित थे, वो साहित्य पढ़ता
था, वो सबसे छुप कर कवितायें पढ़ता था, एक लड़की से प्यार करता था. और इसने
अपने दोस्त को मारने से पहले एक बार भी नहीं सोचा कुछ. बस इसे हुक्म मिला,
और अपने दोस्त को मारने चला आया था. इसने दोस्त को मारने से पहले उससे माफ़ी
माँगी, दोस्त का जवाब था, ‘तुम्हें माफ़ी माँगने की जरूरत ही नहीं. तुम
माफ़ी शब्द का अर्थ ही नहीं समझते, तुम एक मशीन हो’. और सोचो, अपने दोस्त को
मारने के बाद उसमें कैसे बदलाव होते हैं, एक मशीन से इंसान बन जाता है वो,
अपने दोस्त के पास मिली उस किताब से, लाल रिबन से, उस ‘पपी’ के वजह से.
वैसे तो ये कहानी है, लेकिन सोचो दुनिया कितनी क्रूर हो सकती. ये कहते हुए
लड़की काँप जाती है. लड़खड़ाई आवाज़ में वो आगे कहती है, सोचो अगर कभी ऐसा हुआ
तो ऐसी दुनिया कितनी भयानक होगी. लोग कितने निर्दयी हो जायेंगे? अगर देखो
तो शुरुआत अभी से ही हो गयी है, तुम्हें नहीं लगता ऐसा? अभी ही कौन सा
लोगों को किसी के एहसास की कद्र है? बचे कितने हैं एहसास वाले लोग? वो लोग
जिन्हें दूसरों की सच में फ़िक्र है, जो प्यार करना जानते हैं.. ऐसे लोग बचे
ही कितने हैं? मेरे और तुम्हारे जैसे चंद लोग. बस. इसलिए मैं कहती हूँ,
मेरे और तुम्हारे जैसे लोगों का होना इस दुनिया के लिए बेहद जरूरी है. ताकि
लोगों में प्यार बचा रहे. लोग विश्वास कर सकें प्यार पर. आने वाले पीढ़ियों
को ये न लगे कि प्यार महज एक शब्द है, और फिल्म पर दिखाए जाने वाला एक
फार्मूला.
तुम जानते हो? लोग कहते हैं न, ये प्यार, ये शायरी, ये कवितायें, कमज़ोर
होती हैं, इंसान को कमज़ोर बनाती हैं... ये सच नहीं है, बल्कि ये इंसान को
बहुत मजबूत बनाती हैं. तुम कविताओं को देख लो, तुम लिखते हो न कवितायें?
क्या तुम जानते हो कवितायें खुद में कितनी स्ट्रोंग होती हैं? उनका कितना
बड़ा प्रभाव पड़ता है इंसान पर? एक फिल्म थी, शायद तुमने भी देखी हो वो
फिल्म.. उसमें कहा गया था “We don't read and write poetry because it's
cute. We read and write poetry because we are members of the human race.
And the human race is filled with passion. Poetry, beauty, romance,
love, these are what we stay alive for.
तुम उस एक और फिल्म की ही बात ले लो न, तुमने और हमने एक साथ देखा था उसे,
जिसमें पृथ्वी पूरी बर्बाद हो जाती है, लोग मंगल ग्रह पर रहने चले जाते
हैं, लोगों की याददाश्त को भी हमेशा के लिए मिटा दिया जाता है, उस फिल्म
में भी उस लड़के को बर्बाद हुए पृथ्वी के किसी कोने से एक कविताओं की किताब
मिलती है, और उन कविताओं को पढ़कर उसमें कैसा बदलाव आता है. इंसानी रिश्तों
पर उसे यकीन होने लगता है.
वो फिल्म याद है तुम्हें?? जहाँ लड़की की दी हुई अंगूठी को छूते ही उस लड़के को अपनी पिछली कहानी याद आ जाती है? और वो उस लड़की को याद कर के रोने लगता है. वो फिर कैसे ढूँढ लाता है उस लड़की को, या फिर वो फिल्म ही ले लो, जिसमें लड़की के किताब में पड़े एक सूखे गुलाब के फूल को छूते ही वो एकदम से कैसे बेचैन हो जाती है, एक एक कर के उसके आँखों के सामने उसकी सारी पुरानी स्मृतियाँ वापस आने लगती है और अगले ही दिन वो निकल जाती है मीलों दूर अपने उस दोस्त को खोजने के लिए जिसने उसे वो गुलाब का फूल दिया था.
जानते हो, इसलिए मैं कहती हूँ तुमसे, मेरी तरह छोटी छोटी बातों पर भी ध्यान
दिया करो. कभी ऐसा हो जाये, किसी भी वजह से, ऐसी ही कोई बात हो जाए जो उन
फिल्मों में हुआ था, और तुम भूल जाओ मुझे, तो मेरी वही छोटी छोटी इललॉजिकल
बातें तुम्हें वापस मेरे पास लेकर आ जायेंगी, मेरी यही छोटी बेकार सी बातें
, हरकतें देखना उस वक़्त तुम्हारी ज़िन्दगी का कितना बड़ा सहारा बन जायेगी.
कभी कोई लड़की तुम्हें सड़क पर चीटियों को देखते मिले, उनसे बातें करते मिले
तो तुम्हें याद आएगा, कि ऐसी कोई लड़की थी भी जिसे मैं जानता था, जो घंटों
चीटियों से बातें करती थी, कभी आसमान में हवाई जहाज को उड़ते गौर से देखो तो
तुम्हें याद आएगा कि कोई ऐसी लड़की थी, जो एरोप्लेन के पीछे बनते इन
कॉनट्रेल्स को आसमान में बनी सड़क कहती थी...और न जाने ऐसी कितनी ही बातें
तुम्हें याद आती रहेंगी, तुम तो जानते हो मेरे ऐसे हरकतें, काउंटलेस हैं,
लेकिन इन हरकतों को तुम बेकार न समझना. कब मेरी कौन सी बात तुम्हारी
ज़िन्दगी को कैसे बदल दे, ये तुम्हें अंदाजा भी नहीं हो पायेगा. !
_________________________________________________________________________
लड़का उतने आगे की बात नहीं सोचता कभी, किसे पता है आने वाले सालों में क्या
हो? लेकिन एक बात वो जानता है, वो लड़की के उस बात से इत्तेफाक नहीं रखता
कि कभी भी ऐसा हो सकता है कि वो लड़की को भूल जाए. लड़की समझती है कि लड़का
उसकी इललॉजिकल बातों को इग्नोर कर दिया करता है, लेकिन जाने कितनी ही ऐसी
छोटी छोटी बातें हैं जो लड़का आज भी याद रखे हुए है, वो बातें जो शायद लड़की
को भी याद न हो, वो बातें जिसे सुन शायद लड़की को भी आश्चर्य हो कि कोई ये
सब बातें भी याद रख सकता है.
नगमें हैं शिकवे हैं किस्से हैं बातें हैं
बातें भूल जाती हैं यादें याद आती हैं
ये यादें किसी दिल-ओ-जानम के
चले जाने के बाद आती हैं
बातें भूल जाती हैं यादें याद आती हैं
ये यादें किसी दिल-ओ-जानम के
चले जाने के बाद आती हैं