दिल की जितनी भी परेशानी है सब तेरी ही मेहरबानी है आरजुओं का एक समंदर है और आंखों में कितना पानी है फूल भी और चुभन भी है हुस्न की भी क्या जवानी है चांदनी रात है सुलगती हुई आज दिल में आग तो लगानी है