तुम्हारे पास आने से मैं घबराता हूं तुमसे दूर जाने से मैं डर जाता हूं इश्क में ये कैसी कशमकश है दिल में कि जुबां से कहने से मैं शरमाता हूं तुम बेफिक्र सी अक्सर गुजर जाती हो और मैं गमगीन होकर चला जाता हूं तुमसे ‘हां’ की उम्मीद से मुसकाता हूं मगर तेरी ‘ना’ सोचकर सिहर जाता हूं