जब तलक है ये जिंदगी, दिल में मेरी वफा है तेरी उम्मीद में जिए जाने का यही फलसफा है माहताब निकलने में जाने कितनी देर है बाकी गम की अंधेरी रात भी अब लगती बेवफा है तेरी हसरत लेकर हम मरते रहे जो उम्रभर यह जानकर ऐ दिलबर, तू हो गई क्यों खफा है एक समंदर गुम हुआ अब गर्दिश की रेत में साहिल पे है लिखा कि मुहब्बत की ये जफ़ा है