जनाज़ा स्पेशल दर्द भरी शायरी Mix Shayri collection 38 / मिक्स शायरी संग्रह 38
अगर फूल सिर्फ खुशी के लिये होते तो......
जनाजे पर न डाले जाते.......
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फिर नहीं बसते वो दिल जो एक बार उजड़ जाते है, जनाजे को कितना भी संवारो उसमें रूह नहीं आती...
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लोग उसके जनाजें में नही,
उसकी महबूबा को दिलासा देनें गये,
कॉफी लोग जिंदा है।
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इस दुनिया में कोई किसीका हमदर्द नही होता ,
लोग जनाजे के साथ भी होते हे तो
सिर्फ अपनी हाजरी गिनवाने के लिये !!
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फिर नहीं बसते वो दिल जो एक बार उजड़ जाते है..
जनाजे को कितना भी संवारो उसमें रूह नहीं आती...
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गर मर जाऊँ मैं... तो काँधा न देना... तुम मेरे जनाजे को...
कहीं... तुम्हारा सहारा पाकर... फिर से न जी जाऊँ मैं....
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गर मैं मर जाऊँ तो काँधा जरूर देना मेरे जनाजे को
जीते जी तो बहुत कमी महसूस की है मैंने तेरे साथ की
कम से कम/मरने के बाद तो …
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हो चुकी मुलाकात अभी सलाम बाकी है,
तेरे नाम की दो घूंट शराब बाकी है,
तुमको मुबारक हो खुशीयों का शामियाना,
मेरे नसीब में अभी दो गज जमींन बाकी है..
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मेरे जनाजें में उसे न बुलाना,
मोहब्बत की तौहिन होगी,
मैं चार लोगों के कंधों पर जा रहा होऊंगा,
और मेरी जान पैदल चल रही होगी.....
ये कफ़न, ये कब्र, ये जनाज़े, सब रस्म ऐ दुनिया है दोस्त,
मर तो इन्सान तब ही जाता है, जब याद करने वाला कोई ना हो...
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जनाज़ा रोककर वो मेरे से इस अन्दाज़ मे बोले,
गली छोड्ने को कही थी हमने तुमने दुनियां छोड...
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एक जनाजा और एक बरात टकरा गए,
उनको देखने वाले भी चकरा गए,
ऊपर से आवाज आई-"ये कैसी विदाई है?
महबूब की डोली देखने साजन कि अर्थी भी आई है!!
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हर इकरार तेरे इनकार से अच्छा होगा,
मेरा हर दिन तेरी उस रात से अच्छा होगा,
न हो यकीन तो झांक लेना अपनी डोली से,
मेरा जनाजा तेरी बारात से अच्छा होगा...
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कफ़न से मत देखो मेरे चेहरे को,
मुझे आदत है मुस्कुराने की,
मत दफ़नाओं मुझे कब्र में,
मुझे अब भी उम्मीद है किसी के आने की........
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जनाजे पर न डाले जाते.......
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फिर नहीं बसते वो दिल जो एक बार उजड़ जाते है, जनाजे को कितना भी संवारो उसमें रूह नहीं आती...
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लोग उसके जनाजें में नही,
उसकी महबूबा को दिलासा देनें गये,
कॉफी लोग जिंदा है।
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इस दुनिया में कोई किसीका हमदर्द नही होता ,
लोग जनाजे के साथ भी होते हे तो
सिर्फ अपनी हाजरी गिनवाने के लिये !!
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फिर नहीं बसते वो दिल जो एक बार उजड़ जाते है..
जनाजे को कितना भी संवारो उसमें रूह नहीं आती...
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गर मर जाऊँ मैं... तो काँधा न देना... तुम मेरे जनाजे को...
कहीं... तुम्हारा सहारा पाकर... फिर से न जी जाऊँ मैं....
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गर मैं मर जाऊँ तो काँधा जरूर देना मेरे जनाजे को
जीते जी तो बहुत कमी महसूस की है मैंने तेरे साथ की
कम से कम/मरने के बाद तो …
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हो चुकी मुलाकात अभी सलाम बाकी है,
तेरे नाम की दो घूंट शराब बाकी है,
तुमको मुबारक हो खुशीयों का शामियाना,
मेरे नसीब में अभी दो गज जमींन बाकी है..
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मेरे जनाजें में उसे न बुलाना,
मोहब्बत की तौहिन होगी,
मैं चार लोगों के कंधों पर जा रहा होऊंगा,
और मेरी जान पैदल चल रही होगी.....
ये कफ़न, ये कब्र, ये जनाज़े, सब रस्म ऐ दुनिया है दोस्त,
मर तो इन्सान तब ही जाता है, जब याद करने वाला कोई ना हो...
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जनाज़ा रोककर वो मेरे से इस अन्दाज़ मे बोले,
गली छोड्ने को कही थी हमने तुमने दुनियां छोड...
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एक जनाजा और एक बरात टकरा गए,
उनको देखने वाले भी चकरा गए,
ऊपर से आवाज आई-"ये कैसी विदाई है?
महबूब की डोली देखने साजन कि अर्थी भी आई है!!
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हर इकरार तेरे इनकार से अच्छा होगा,
मेरा हर दिन तेरी उस रात से अच्छा होगा,
न हो यकीन तो झांक लेना अपनी डोली से,
मेरा जनाजा तेरी बारात से अच्छा होगा...
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कफ़न से मत देखो मेरे चेहरे को,
मुझे आदत है मुस्कुराने की,
मत दफ़नाओं मुझे कब्र में,
मुझे अब भी उम्मीद है किसी के आने की........
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मेरा
जनाजा निकला तेरी गली के पीछे, तु क्यु न आई मेरे जनाजे के पिछे, ऐ जनाजे
वाले मै कैसे आती तेरे जनाजे के पिछे, तेरा जनाजा निकल रहा था मेरे जनाजे
के पीछे.. www.sentiakbar.blogspot.in
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