Mix Shayri collection 12/ मिक्स शायरी संग्रह 12
कभी मंदिर पे बैठते हैं कभी मस्जिद पे …!!
ये मुमकिन है इसलिए क्योंकि परिंदों में नेता नहीं होते ….!!
********
आज भी ये बात हम समझ ही नहीं पाते हैं !!
मुट्ठी जितने दिल में कैसे ज़माने के गम समाते हैं ?
********
कीसी से भी अपनी जीदगी मे बने रहने के लिए
भीख न मागो जीसे रहना होगा वो कीसी भी
कीमत पर आपकी जीदगीमे बने रेगा…
*********
बुलन्दियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी…
लेकिन,दूसरो को रौंदने का हुनर कहां से लाता!
*******
“अपनी ‘उम्र’ और ‘पैसों’ पर कभी ‘घमंड’ मत करना…
क्योंकि जो चीज़ें ‘गिनी’ जा सकें वो यक़ीनन ‘ख़त्म’ हो जाती हैं…”
********
हज़ार चेहरों में उसकी झलक मिली मुझको;
पर दिल की ज़िद्द थी, अगर वो नहीं तो उस के जैसा भी नहीं…
*********
मंज़िल भी नहीं…ठिकाना भी नही…
वापस उनके पास जाना भी नहीं…
मैंने ही सिखाया था उन्हें तीर चलाना और
अब मेरे सिवा उनका कोई निशाना भी नहीं…
********
हमसे तन्हाई के मारे नहीं देखे जाते
बिन तेरे चाँद-सितारे नहीं देखे जाते
*********
दिलों कि बात करता हैं ज़माना.
पर आज भी मोहोब्बत चेहरों से ही शुरू होती हैं !
********
मेने तक़दीर पे यक़ीन करना छोड़ दिया है,
जब इंसान बदल सकते है तो ये तकदीर क्या चीझ हे…
********
फिक्रमंद हूँ आजकल तेरे बारे मेँ सोच के,
यूँ मुझपर गौर करोगे तो मुझसे मुहब्बत हो जाएगी!!!
********
‘तू’ डालता जा साकी शराब मेरे प्यालो में…
जब तक ‘वो’ न निकले मेरे ख्यालों से ।।।
********
खतरा है इस दौर में, बुजदिलों से दिलेर को.
धोखे से काट लेते हैं ”कुत्ते” भी ”शेर” को…!
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तुजे कया खबर तेरी याद ने मुझे कीस तरह सताया….
कभी अकेले मे हसा दीया तो कभी भरी मेहफील मे रुलाया…
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ये मुमकिन है इसलिए क्योंकि परिंदों में नेता नहीं होते ….!!
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आज भी ये बात हम समझ ही नहीं पाते हैं !!
मुट्ठी जितने दिल में कैसे ज़माने के गम समाते हैं ?
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कीसी से भी अपनी जीदगी मे बने रहने के लिए
भीख न मागो जीसे रहना होगा वो कीसी भी
कीमत पर आपकी जीदगीमे बने रेगा…
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बुलन्दियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी…
लेकिन,दूसरो को रौंदने का हुनर कहां से लाता!
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“अपनी ‘उम्र’ और ‘पैसों’ पर कभी ‘घमंड’ मत करना…
क्योंकि जो चीज़ें ‘गिनी’ जा सकें वो यक़ीनन ‘ख़त्म’ हो जाती हैं…”
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हज़ार चेहरों में उसकी झलक मिली मुझको;
पर दिल की ज़िद्द थी, अगर वो नहीं तो उस के जैसा भी नहीं…
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मंज़िल भी नहीं…ठिकाना भी नही…
वापस उनके पास जाना भी नहीं…
मैंने ही सिखाया था उन्हें तीर चलाना और
अब मेरे सिवा उनका कोई निशाना भी नहीं…
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हमसे तन्हाई के मारे नहीं देखे जाते
बिन तेरे चाँद-सितारे नहीं देखे जाते
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दिलों कि बात करता हैं ज़माना.
पर आज भी मोहोब्बत चेहरों से ही शुरू होती हैं !
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मेने तक़दीर पे यक़ीन करना छोड़ दिया है,
जब इंसान बदल सकते है तो ये तकदीर क्या चीझ हे…
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फिक्रमंद हूँ आजकल तेरे बारे मेँ सोच के,
यूँ मुझपर गौर करोगे तो मुझसे मुहब्बत हो जाएगी!!!
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‘तू’ डालता जा साकी शराब मेरे प्यालो में…
जब तक ‘वो’ न निकले मेरे ख्यालों से ।।।
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खतरा है इस दौर में, बुजदिलों से दिलेर को.
धोखे से काट लेते हैं ”कुत्ते” भी ”शेर” को…!
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तुजे कया खबर तेरी याद ने मुझे कीस तरह सताया….
कभी अकेले मे हसा दीया तो कभी भरी मेहफील मे रुलाया…
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