Mix Shayri collection 17 / मिक्स शायरी संग्रह 17
एहसास-ए-मुहब्बत के लिए… बस इतना ही काफी है,
तेरे बगैर भी हम,. तेरे ही रहते हैं…!!!!
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समझदार बनने की कोशिश में शरारत
भी खो बैठे
अब इस समझदारी में सबको साजिश नजर
आती है…
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निकलते है तेरे आशिया के आगे से,सोचते है की तेरा दीदार हो जायेगा,
खिड़की से तेरी सूरत न सही तेरा साया तो नजर आएगा…
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“देर रत जब किसी की याद सताए,
ठंडी हवा जब जुल्फों को सहलाये.
कर लो आंखे बंद और सो जाओ क्या पता,
जिसका है ख्याल वो खवाबों में आ जाये.”
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वादो से बंधी जंजीर थी जो तोड दी मैँने,
अब से जल्दी सोया करेँगेँ, मोहब्बत छोड दी मैँने..
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उसने पूछा सबसे ज्यादा क्या पसंद है तुम्हे
मैं बहुत देर तक देखता रहा उसे
बस ये सोचकर कि
खुद जवाब होकर उसने सवाल क्यूँ किया…!!
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दर्द दे कर इश्क़ ने हमे रुला दिया,
जिस पर मरते थे उसने ही हमे भुला दिया,
हम तो उनकी यादों में ही जी लेते थे,
मगर उन्होने तो यादों में ही ज़हेर मिला दिया.
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कीसीका दिल दुखा कर जब भी दो पैसे
कमाता हु,
मुझे खुद रोटीओ से खुन की बू आने लगती है.
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दिल-दिल से मिले या न मिले हाथ मिलाओ..
हमको ये सलीक़ा भी बड़ी देर से आया…
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जिंदगी एक सजासी हो गई है, गम के सागर मे कुछ इस कदर खो गयी है,
तुम आजाओ वापिस ये गुजारिश है मेरी, शायद मुझे तुम्हारी आदत सी हो गई है ।
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“तुम आए ज़िंदगी मे कहानी बन कर,
तुम आए ज़िंदगी मे रात की चाँदनी बन कर,
बसा लेते है जिन्हे हम आँखो मे,
वो अक्सर निकल जाते है आँखो से पानी बन कर”
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लम्हा-लम्हा बनता जीवन, इस जीवन में कुछ लम्हे हैं!
इन लम्हों में से कुछ लम्हे, तेरे मेरे संग गुज़रे हैं!!!!
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लाख चाहूँ तो भी ये जान निकलती नहीं है
वो लौट के आने का वादा जो कर गए ह…
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हर दुआ मे शामिल तेरा प्यार है..
बिन तेरे लम्हा भी दुशवार है..
धड्कनों को तुझसे ही दरकार है..
तुझसे हैं राहतें.. तुझसे है चाहतें..
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सुबह का हर पल ज़िंदगी दे आपको
दिन का हर लम्हा खुशी दे आपको
जहा गम की हवा छू कर भी न गुज़रे
खुदा वो जन्नत से ज़मीन दे आपको
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आज कोई नया ज़ख्म नहीं दिया उसने ।
पता करो यारो वो खैरयत से तो है। !!!
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लोग पूछते हैं हमसे कि तुम अपने प्यार का इज़हार क्यों नहीं करते;
तो हमने कहा जो लफ़्ज़ों में बयां हो जाए हम उनसे प्यार उतना नहीं करते…
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मैं कुछ लम्हा और तेरे साथ चाहता था;
आँखों में जो जम गयी वो बरसात चाहता था;
सुना हैं मुझे बहुत चाहती है वो मगर;
मैं उसकी जुबां से एक बार इज़हार चाहता था।
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सपनो से दिल लगाने की आदत नहीं रही, हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,
ये सोच के की कोई मनाने नहीं आएगा, हमें रूठ जाने की आदत नहीं रही |
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मेरे दोस्तों ने इकट्ठा किया मेरे ही कत्ल का सामान,
मैंने उनसे कहा, यारो तुम्हारी नफरत ही काफी थी मुझे मारने के लिए……
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हमें रोता देखकर वो ये कह के चल दिए कि,
रोता तो हर कोई है क्या हम सब के हो जाएँ…
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सुन कर ग़ज़ल मेरी, वो अंदाज़ बदल कर बोले,
कोई छीनो कलम इससे, ये तो जान ले रहा है…….!!
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हम इतने खूबसुरत तो नही है मगर हाँ…!!
जिसे आँख भर के देख ले उसे उलझन मेँ डाल देते हॆ
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उसकी हसरत को मेरे दिल में लिखने वाले !
काश उसे भी मेरे नसीब में लिखा होता !!
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“मेरे इश्क में दर्द नहीं था पर दिल मेरा बे दर्द नहीं था, होती थी मेरी आँखों से नीर की बरसात, पर उनके लिए आंसू और पानी में फर्क नहीं था ”
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चप्पल घिस गइ चलते चलते पाँव मे पड़ गये छाले
कितना मुझे आजमायेगी मँजिल ,,,अब तो पास आले
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आपकी पलकों पर रह जाये कोई!
आपकी सांसो पर नाम लिख जाये कोई!
चलो वादा रहा भूल जाना हमें!
अगर हमसे अच्छा दोस्त मिल जाये कोई!
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कुछ लुटकर, कुछ लूटाकर लौट आया हूँ,
वफ़ा की उम्मीद में धोखा खाकर लौट आया हूँ |
अब तुम याद भी आओगी, फिर भी न पाओगी,
हसते लबों से ऐसे सारे ग़म छुपाकर लौट आया हूँ |
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मेरी तन्हाई मार डालेगी दे दे कर तानें मुझको
एक बार आ जाओ इसे तुम खामोश कर दो….
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सूकून का एक लम्हा भी मयस्सर नहीं मुझको…
मोहब्बत को सुलाता हूँ तो तेरी यादें जाग जाती है..
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“जीत की ख़ातिर बस जूनून चाहिए,
जिसमे उबाल हो ऐसां खून चाहिए,
ये आसमा भी आएगा जमी पर ,
बस इरादों में जीत की गूँज चाहिए……..!!!
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इक ज़ख़्मी परिन्दे की तरह जाल में हम हैं,
ऐ इश्क़ अभी तक तेरे जंजाल में हम हैं”
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आज हम भी एक नेक काम कर आए,
दिल की वसीयत किसी के नाम कर आए,
प्यार हैं उनसे ये जानते हैं वो……,
मज़बूरी थी जो झुकी नज़रों से इनकार कर आए.
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