Mix Shayri collection 22 / मिक्स शायरी संग्रह 22
दुश्मन बनाने के लिए जरुरी नहीं के युद्ध ही लड़ा जाए….!
थोड़े से कामयाब हो जाओ, वो खैरात में मिलेंगे….!!
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एक अजीब फ़िक्र खा रही है मुझे,,,
अपनी ही आवाज़ आ रही है मुझे….
*******
सब समझते हैं बात मतलब की
कोई नहीं समझता मतलब बात का…
********
”इंतहा तो देखो बेवफाई कि ……..
एग्जाम मे निबंध आया बेवफाई पर…………
बस एक नाम ‘तेरा’ लिखा और हम टाँप कर गये …….”
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मियाँ.. मरने के लिए थोड़ा सा, लेकिन जिंदा रहने के लिए बहुत सारा जहर पीना पड़ता है ।
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हर बार सम्हाल लूँगा, गिरो तुम चाहो जितनी बार ।
बस इल्तजा एक ही है, कि मेरी नज़रों से ना गिरना ।
******
गिरना भी अच्छा है,
औकात का पता चलता है…
बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को,
तब अपनों का पता चलता है…
*******
“नही है हमारा हाल,
कुछ तुम्हारे हाल से अलग,
बस फ़र्क है इतना,
कि तुम याद करते हो,
और हम भूल नही पाते.”
******
जी रहे है कपडे बदल बदल कर,
एक दिन एक कपडे में ले जायेंगे कंधे बदल बदल कर,
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नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर,
रिश्ते निभाना बड़ा नाज़ुक सा हुनर होता है…!!!
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दिल तो सीने में दफ़्न हुआ करता है,
शायद इसलिये….
लोग चेहरे पर फ़िदा हुआ करते हैं…!”
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तनहा रहेने का भी अपना मज़ा है दोस्तों…….
यकीन होता है की कोई छोड़कर नहीं जायेगा,
और
उम्मीद नहीं होती किसी के लौट आने की…!!
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मुझे तो इन्साफ़ चािहये…बस…
िदल मैरा हे….तो मािलक तुम कैसे!!!!
*******
मुद्दत का सफर भी था,
ओर बर्षो कि चाहत भी थी,
रुकते तो बिखर जाते,
चलते तो दिल टूट जाते,
यु समझ लो की ……
लगी प्यास गज़ब कि थी,
ओर पानी मे भी ज़हर था,
पीते तो मर जाते,
ओर न पीते तो भी मर जाते….!!!!!!!
******
कितना शरीफ शख्श है पत्नी पे फ़िदा है..
उस पे कमाल ये कि अपनी पे फ़िदा है…!
******
न जाहिर हुई तुमसे, न बयान हुई हमसे।
बस
सुलझी हुई आँखो मेँ, उलझी रही मोहब्बत॥
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“तासीर इतनी ही काफी है की वो मेरा दोस्त है,
क्या ख़ास है उसमे ऐसा कभी सोचा ही नही”
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हर कोई हमको मिला पहने हुए नकाब,,
अब किसको कहें अच्छा, किसको कहें खराब..
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खुद ही रोये और रो कर चुप हो गए…
ये सोचकर कि आज कोई अपना होता तो रोने ना देता…!!
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हालात ने तोड़ दिया हमें कच्चे धागे की तरह…
वरना हमारे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे..
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खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की….
तुम मुझे पहचानते हो, बस इतना ही काफी है..
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ऐसा नहीं है कि अब तेरी जुस्तजू नहीं रही ,
बस टूट टूट कर बिखरने आरज़ू नहीं रही !
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बहुत अजीब हैं तेरे बाद की,, ये बरसातें भी,
हम अक्सर बन्द कमरे मैं भीग जाते हैं…
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यूँ तो मसले और मुद्दे बहुत हैं …….लिखने को मगर ,,,
कमबख्त़ इन कागज़ों को तेरा ही ,,,ज़िक्र अज़ीज़ है …
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खूबिओं से नहीं होती मोहब्बत भी सदा,
कमियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है” !!
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“शाम खाली है जाम खाली है,ज़िन्दगी यूँ गुज़रने वाली है,…”
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“एक हम है की खुद नशे में है, एक तुम हो की खुद नशा तुम में है।”
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थोड़े से कामयाब हो जाओ, वो खैरात में मिलेंगे….!!
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एक अजीब फ़िक्र खा रही है मुझे,,,
अपनी ही आवाज़ आ रही है मुझे….
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सब समझते हैं बात मतलब की
कोई नहीं समझता मतलब बात का…
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”इंतहा तो देखो बेवफाई कि ……..
एग्जाम मे निबंध आया बेवफाई पर…………
बस एक नाम ‘तेरा’ लिखा और हम टाँप कर गये …….”
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मियाँ.. मरने के लिए थोड़ा सा, लेकिन जिंदा रहने के लिए बहुत सारा जहर पीना पड़ता है ।
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हर बार सम्हाल लूँगा, गिरो तुम चाहो जितनी बार ।
बस इल्तजा एक ही है, कि मेरी नज़रों से ना गिरना ।
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गिरना भी अच्छा है,
औकात का पता चलता है…
बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को,
तब अपनों का पता चलता है…
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“नही है हमारा हाल,
कुछ तुम्हारे हाल से अलग,
बस फ़र्क है इतना,
कि तुम याद करते हो,
और हम भूल नही पाते.”
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जी रहे है कपडे बदल बदल कर,
एक दिन एक कपडे में ले जायेंगे कंधे बदल बदल कर,
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नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर,
रिश्ते निभाना बड़ा नाज़ुक सा हुनर होता है…!!!
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दिल तो सीने में दफ़्न हुआ करता है,
शायद इसलिये….
लोग चेहरे पर फ़िदा हुआ करते हैं…!”
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तनहा रहेने का भी अपना मज़ा है दोस्तों…….
यकीन होता है की कोई छोड़कर नहीं जायेगा,
और
उम्मीद नहीं होती किसी के लौट आने की…!!
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मुझे तो इन्साफ़ चािहये…बस…
िदल मैरा हे….तो मािलक तुम कैसे!!!!
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मुद्दत का सफर भी था,
ओर बर्षो कि चाहत भी थी,
रुकते तो बिखर जाते,
चलते तो दिल टूट जाते,
यु समझ लो की ……
लगी प्यास गज़ब कि थी,
ओर पानी मे भी ज़हर था,
पीते तो मर जाते,
ओर न पीते तो भी मर जाते….!!!!!!!
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कितना शरीफ शख्श है पत्नी पे फ़िदा है..
उस पे कमाल ये कि अपनी पे फ़िदा है…!
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न जाहिर हुई तुमसे, न बयान हुई हमसे।
बस
सुलझी हुई आँखो मेँ, उलझी रही मोहब्बत॥
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“तासीर इतनी ही काफी है की वो मेरा दोस्त है,
क्या ख़ास है उसमे ऐसा कभी सोचा ही नही”
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हर कोई हमको मिला पहने हुए नकाब,,
अब किसको कहें अच्छा, किसको कहें खराब..
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खुद ही रोये और रो कर चुप हो गए…
ये सोचकर कि आज कोई अपना होता तो रोने ना देता…!!
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हालात ने तोड़ दिया हमें कच्चे धागे की तरह…
वरना हमारे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे..
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खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की….
तुम मुझे पहचानते हो, बस इतना ही काफी है..
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ऐसा नहीं है कि अब तेरी जुस्तजू नहीं रही ,
बस टूट टूट कर बिखरने आरज़ू नहीं रही !
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बहुत अजीब हैं तेरे बाद की,, ये बरसातें भी,
हम अक्सर बन्द कमरे मैं भीग जाते हैं…
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यूँ तो मसले और मुद्दे बहुत हैं …….लिखने को मगर ,,,
कमबख्त़ इन कागज़ों को तेरा ही ,,,ज़िक्र अज़ीज़ है …
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खूबिओं से नहीं होती मोहब्बत भी सदा,
कमियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है” !!
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“शाम खाली है जाम खाली है,ज़िन्दगी यूँ गुज़रने वाली है,…”
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“एक हम है की खुद नशे में है, एक तुम हो की खुद नशा तुम में है।”
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