Mix Shayri collection 23 / मिक्स शायरी संग्रह 23
मै फिर से निकलूँगा तलाशने को मेरी जिन्दगी में खुशियाँ यारों……
दुआ करना इस बार किसी से मोह्हबत ना हो ..
*******
मेरे पास ही था उनके ज़ख्मों का मरहम।
.
मगर . . . .
.
बड़े शहरों में कहाँ छोटी दुकान दिखाई देती है।
*******
आज जा कर के उसने, सच में भुलाया है मुझे…
वरना ये हिचकियाँ , पानी से तो नहीं जाती थीं…!!
*******
उम्र ए जवानी फिर न मुस्कुराई बचपन की तरह,,
मेने साइकिल भी खरीदी,
और खिलोने भी खरीद कर देख लिये..
*******
ज़िन्दगी में अपना पन तो हर कोई दिखाता हे,,
पर…अपना हे कौन…यह वक़्त बताता हे…
*******
“सफर में मुश्किलें आऐ, तो हिम्मत और बढ़ती है,
कोई अगर रास्ता रोके, तो जुर्रत और बढ़ती है,
अगर बिकने पे आ जाओ, तो घट जाते है दाम अक्सर
ना बिकने का इरादा हो तो, कीमत और बढ़ती है…
*******
प्रभू को भी पसंद नहीं सख्ती बयान में…
इसी लिए हड्डी नहीं दी, जबाऩ में..|।।
*******
अब कहा जरुरत है हाथों मे पत्थर उठाने की,
तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड देते हैं..
*******
मुकद्दर मे रात की नींद मुनासिब नहीं तो क्या हुआ,,
हम भी मुकद्दर को धोखा दे कर दिन मे सो जाते है.
*******
इतनी वफादारी ना कर किसी से, यूँ मदहोश हो कर,
दुनिया वाले एक ख़ता (galti)के बदले, सारी वफाँए भुला देते हैं ….
*******
पहले तो मोहब्बत का नशा था दोस्तों,,,,
दिल टूटा के नशे से ही मोहब्बत हो गयी।।
*******
सुना है…!
मोहब्बत की तलाश मैं निकले हो ‘तुम…’
अरे ओ पागल…?
मोहब्बत खुद तलाश करती है जिसे बर्बाद
करना हो?
*******
तुने तो रुला के रख दिया ए-जिन्दगी;
जा कर पूछ मेरी माँ से कितने लाडले थे हम…
*******
एक लफ्ज़ है मोहब्बत
इसे कर के तो देखो !
तुम तड़प ना जाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है मुक़द्दर
इससे लड़ कर तो देखो !
तुम हार न जाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है वफ़ा
ज़माने में नहीं मिलती !
कहीं ढून्ढ पाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है आंसू
दिल में छुपा कर तो देखो !
तुम्हारी आँखों से न निकले तो कहना !!
एक लफ्ज़ है जुदाई
इसे सह कर तो देखो !
तुम टूट के बिखर ना जाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है खुदा
उसे पुकार कर तो देखो !
सब कुछ पा ना लो तो कहना !!!
*******
हम भी मौजूद थे
तकदीर के दरवाजे पर,……
लोग दौलत पे गिरे,
हमने “तुझे” मांग लिया…….
*******
उसे बेवफ़ा जो बोलूं तो तोहीन है वफ़ा की…
वो वफ़ा निभा तो रही है ! कभी इधर कभी उधर…!!
******
फाँसी लगा ली गिरगिट ने खुदा से ये कहके…
दुनिया में रँग बदलने में इन्सान हमसे आगे हैं ….!!!
*******
जिस कश्ती के मुक़द्दर में हो डूब जाना ___!
तूफानों से बच भी निकले…तो किनारे रूठ जाते हैं..
*******
तुमने क्या सोचा कि तुम्हारे सिवा कोई नही मुझे चाहने वाला,
पागल छोङ कर तो देख, मौत तैयार खङी है मुझे अपने सीने लगाने के लिए…
********
काश कुछ दिनों के लिए,
दुनियाँ को छोड़ जाना मुमकिन होता !
सुना है लोग बहुत याद करते हैं,
दुनियाँ से चले जाने के बाद !!
*******
यूँ तो ये गिलास कितना छोटा है
पर न जाने कितनी बोतलें पी गया होगा…
*******
उस रात से हम ने सोना ही छोड़ दिया
‘यारो’
जिस रात उस ने कहा के सुबह आंख खुलते ही मुझे भूल जाना ।
*******
गिलास में पड़ी,
शराब के दो घूंटो में ही थी ज़िन्दगी
और हम ज़िन्दगी को कहाँ कहाँ ढूंढते रहे…
*******
आज सोचा ज़िन्दा हूँ , तो घूम लूँ …
मरने के बाद तो भटकना ही है ।।
*******
सब पूछेंगे जब तक चार पैसे हैं,
फिर कोई नहीं पूछेगा के आप केसे है ??
*******
कोई तो बात हैं तेरे दिल मे, जो इतनी गहरी हैं कि,
तेरी हँसी, तेरी आँखों तक नहीं पहुँचती..
*******
तुम्ही ने सफ़र कराया था मोहब्बत की कश्ती में,
अब नज़र ना चुरा मुझे डूबता हुआ भी देख ….
*******
कुछ कर गुजरने की चाह में, कहाँ कहाँ से गुजरे
अकेले ही नज़र आये हम, जहां जहां से गुजरे…
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हजारो मयखाने शहर में तेरे …. आबाद हो गए,
इश्क़ में ना जाने कितने आशिक़ बर्बाद हो गए ।।
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दुआ करना इस बार किसी से मोह्हबत ना हो ..
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मेरे पास ही था उनके ज़ख्मों का मरहम।
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मगर . . . .
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बड़े शहरों में कहाँ छोटी दुकान दिखाई देती है।
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आज जा कर के उसने, सच में भुलाया है मुझे…
वरना ये हिचकियाँ , पानी से तो नहीं जाती थीं…!!
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उम्र ए जवानी फिर न मुस्कुराई बचपन की तरह,,
मेने साइकिल भी खरीदी,
और खिलोने भी खरीद कर देख लिये..
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ज़िन्दगी में अपना पन तो हर कोई दिखाता हे,,
पर…अपना हे कौन…यह वक़्त बताता हे…
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“सफर में मुश्किलें आऐ, तो हिम्मत और बढ़ती है,
कोई अगर रास्ता रोके, तो जुर्रत और बढ़ती है,
अगर बिकने पे आ जाओ, तो घट जाते है दाम अक्सर
ना बिकने का इरादा हो तो, कीमत और बढ़ती है…
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प्रभू को भी पसंद नहीं सख्ती बयान में…
इसी लिए हड्डी नहीं दी, जबाऩ में..|।।
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अब कहा जरुरत है हाथों मे पत्थर उठाने की,
तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड देते हैं..
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मुकद्दर मे रात की नींद मुनासिब नहीं तो क्या हुआ,,
हम भी मुकद्दर को धोखा दे कर दिन मे सो जाते है.
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इतनी वफादारी ना कर किसी से, यूँ मदहोश हो कर,
दुनिया वाले एक ख़ता (galti)के बदले, सारी वफाँए भुला देते हैं ….
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पहले तो मोहब्बत का नशा था दोस्तों,,,,
दिल टूटा के नशे से ही मोहब्बत हो गयी।।
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सुना है…!
मोहब्बत की तलाश मैं निकले हो ‘तुम…’
अरे ओ पागल…?
मोहब्बत खुद तलाश करती है जिसे बर्बाद
करना हो?
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तुने तो रुला के रख दिया ए-जिन्दगी;
जा कर पूछ मेरी माँ से कितने लाडले थे हम…
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एक लफ्ज़ है मोहब्बत
इसे कर के तो देखो !
तुम तड़प ना जाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है मुक़द्दर
इससे लड़ कर तो देखो !
तुम हार न जाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है वफ़ा
ज़माने में नहीं मिलती !
कहीं ढून्ढ पाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है आंसू
दिल में छुपा कर तो देखो !
तुम्हारी आँखों से न निकले तो कहना !!
एक लफ्ज़ है जुदाई
इसे सह कर तो देखो !
तुम टूट के बिखर ना जाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है खुदा
उसे पुकार कर तो देखो !
सब कुछ पा ना लो तो कहना !!!
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हम भी मौजूद थे
तकदीर के दरवाजे पर,……
लोग दौलत पे गिरे,
हमने “तुझे” मांग लिया…….
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उसे बेवफ़ा जो बोलूं तो तोहीन है वफ़ा की…
वो वफ़ा निभा तो रही है ! कभी इधर कभी उधर…!!
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फाँसी लगा ली गिरगिट ने खुदा से ये कहके…
दुनिया में रँग बदलने में इन्सान हमसे आगे हैं ….!!!
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जिस कश्ती के मुक़द्दर में हो डूब जाना ___!
तूफानों से बच भी निकले…तो किनारे रूठ जाते हैं..
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तुमने क्या सोचा कि तुम्हारे सिवा कोई नही मुझे चाहने वाला,
पागल छोङ कर तो देख, मौत तैयार खङी है मुझे अपने सीने लगाने के लिए…
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काश कुछ दिनों के लिए,
दुनियाँ को छोड़ जाना मुमकिन होता !
सुना है लोग बहुत याद करते हैं,
दुनियाँ से चले जाने के बाद !!
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यूँ तो ये गिलास कितना छोटा है
पर न जाने कितनी बोतलें पी गया होगा…
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उस रात से हम ने सोना ही छोड़ दिया
‘यारो’
जिस रात उस ने कहा के सुबह आंख खुलते ही मुझे भूल जाना ।
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गिलास में पड़ी,
शराब के दो घूंटो में ही थी ज़िन्दगी
और हम ज़िन्दगी को कहाँ कहाँ ढूंढते रहे…
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आज सोचा ज़िन्दा हूँ , तो घूम लूँ …
मरने के बाद तो भटकना ही है ।।
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सब पूछेंगे जब तक चार पैसे हैं,
फिर कोई नहीं पूछेगा के आप केसे है ??
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कोई तो बात हैं तेरे दिल मे, जो इतनी गहरी हैं कि,
तेरी हँसी, तेरी आँखों तक नहीं पहुँचती..
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तुम्ही ने सफ़र कराया था मोहब्बत की कश्ती में,
अब नज़र ना चुरा मुझे डूबता हुआ भी देख ….
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कुछ कर गुजरने की चाह में, कहाँ कहाँ से गुजरे
अकेले ही नज़र आये हम, जहां जहां से गुजरे…
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हजारो मयखाने शहर में तेरे …. आबाद हो गए,
इश्क़ में ना जाने कितने आशिक़ बर्बाद हो गए ।।
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