Mix Shayri collection 27 / मिक्स शायरी संग्रह 27
होसला उसमे भी न था यु मुझसे जुदा होने का,
वर्ना काजल उसकी आखो में यु ना फेला होता.
*******
मैं खुद कभी बेचा करता था दर्दे दिल की दवा…
पर ए दोस्त…
“आज वक़्त मुझे अपनी ही दुकान पर ले आया…!!
*******
मेरी जरुरत ओर ख्वाहिस दोनो तूम हो..
अगर रब की कभी महेर बानी हुई ..
तो कोई ऐक तो पुरी होगी…
*******
सालो गुजर गए रोकर नहीं देखा
आँखों में नींद थी सोकर नहीं देखा
वो क्या जाने दर्द मोहोबत का
जिसने कभी किसी को खोकर नहीं देखा.
*******
मुझे यकीन है मोहब्बत उसी को कहते हैं,
के ज़ख़्म ताज़ा रहे और निशान चला जाए..
*******
वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी….
फिर क्यों उसे “चाँद” और मुझे “आवारा” कहते हैं लोग…
*******
जानता हूँ खुद को…
इसलिए खुद से बहस नहीं करता…
*******
मैं झुक गया तो वो सज़दा समझ बैठे,
मैं तो इन्सानियत निभा रहा था,
वो खुद को ख़ुदा समझ बैठे।
*******
कोई बात तो है तुझमें ज़ुदा सी,
देखूँ जितना भी तुझे कम ही लगता है।
*******
यूँ तो हर रंग का मौसम मुझ से वाकिफ है मगर
रात की तन्हाई मुझे कुछ अलग ही जानती है….
*******
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे;
जब कभी हम दोस्त हो जायें तो शर्मिंदा न हों।
*******
दोस्तों—-
मजाक और पैसा काफी सोच समज
कर उडाना चाइए…
*******
नींद और मौत में क्या फर्क है.?
किसी ने क्या खूबसूरत जवाब दिया है.
“नींद तो आधी मौत है”,
और
“मौत मुकम्मल नींद है”
*******
गुज़र गया आज का दिन भी यूं ही बेवजह…
ना मुझे फुरसत मिली,
ना तुझे ख़्याल आया…!!!
*******
तेरी आँखों की तौहीन नहीं तो और क्या हे यह…
मैंने देखा, तेरे चाहने वाले, कल शराब पी रहे थे..
*******
“हर बात मानी है तेरी सर झुका कर ए जिंदगी,
हिसाब बराबर कर…. तू भी तो कुछ शर्तें मान मेरी”
*******
कश्ती के मुसाफिर ने समँदर नहीँ देखा ।
आँखो को देखा पर दिल के अन्दर नहीँ देखा ।
पत्थर समझते है मुझे मेरे चाहने वाले ।
हम तो मोम थे किसी ने छुकर नहीँ देखा ।
*******
“दील से लिखी बात दील को छू जाती है,
ये अक्सर अनकही बात कह जाती है,
कुछ लोग दोस्ती कॆ मायनॆ बदल दॆतॆ है,
और कुछ लोगो कि दोस्ती सॆ दुनिया बदल जाती है.”
*******
सब कुछ झूठ है लेकिन फिर भी बिलकुल सच्चा लगता है.
जानबूझकर धोखा खाना कितना अच्छा लगता है.
*******
शराबी अच्छे हैं दुनियादार लोगों से . . .
ग्लास जरूर तोड़ते हैं लेकिन दिल नहीं . . .
*******
एक निवाले के लिए मैंने जिसे मार दिया,
वह परिन्दा भी कई दिन का भूखा निकला ।
*******
वो कहते हैं न …
कि कुछ सोच लो बेहतर…
तो बेहतर होगा …
मैंने सोचा कि बेहतर है…
तुझे सोचूं ..
तुझसे बेहतर क्या होगा..!!
*******
किसने माँगी थी इन आँखों से रिहाई
जाने किस ज़ुर्म की सज़ा है ये जुदाई …
*******
मेरी यादों की कश्ती उस समुन्दर में तैरती है,
जहाँ पानी सिर्फ और सिर्फ मेरी पलकों का होता है..
*******
ऐ बेखबर यु बेवजह बेरुखी ना किया कर,
कोई टूट के बिखर सा जाता है,
इक तेरे यु लहजा बदलने के मजाक से……….
*******
मैं तो ज़हर भी पी लूँगा इक तेरी ख़ातिर,
फ़राज़
पर शर्त है, तू सामने बैठ मेरे,,, मेरी साँसों के टूटने तक……
*******
मेरे जखमों पर मरहम नालगाओ, हमें मजा आता है.
हर चीख के साथ तेरा चेहरा जो नजर आता है..!
*******
तेरे चले जाने के बाद
मोहब्बत नहीं की किसी से
छोटी सी जिन्दगी में
किस किस को आजमाते…
*******
मत किया करिये दिन के उजालों की ख्वाहिशें ऐ हजूर,
ये आशिक़ों की बस्तियाँ हैं यहाँ सूरज से नहीं, दीदार से दिन निकलता हैं।
*******
अंत में लीखी है दोनों की बर्बादी,
आशीक़ हो या हो कोई आतंकवादी…
*******
फिर नहीं बसते वो दिल जो एक बार टूट जाते हैं…!
कब्रे कितनी ही सवारो कोई ज़िंदा नहीं होते हे…!!
*******
आज रब से मुलाकात की;
थोड़ी सी आपके बारे में बात की;
मैंने कहा क्या दोस्त है;
क्या किस्मत पाई है;
रब ने कहा संभाल के रखना;
मेरी पसंद है, जो तेरे हिस्से में आई है…..
*******
हाथ की लकीरें पढने वाले ने तो….
मेरे होश ही उड़ा दिये..!
मेरा हाथ देख कर बोला…
“तुझे मौत नहीं किसी की चाहत मारेगी…
*******
इज़ाज़त हो तो कुछ अर्ज़ करूँ ??
खेल चुके हो तो ” दिल” वापस कर दो…
*******
तकदीर को जब बदलना है,बदल जायेगी…
फिलहाल लगा हुआ हुँ आदत बदलने में”!
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जिस जिस को भी सुनाते है हम अपना अफसाना ए उल्फत।
हर शख्स अपनी आपबीती समझ कर रोने लगता है।।
*******
हर बार मुकद्दर को को कुसूरवार कहना अच्छी बात नहीं ,
कभी कभी हम उन्हें मांग लेते है जो किसी और के होते है …….!!
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निगाहों से भी चोट लगती है
जब हमें कोई देखकर भी अनदेखा कर देतें हैं !!
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कितना नादान है ये दिल,
कैसे समझाऊँ की जिसे तू खोना नही चाहता,
वो तेरा होना नही चाहता……
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सुना है दुआओं की क़ीमत नहीं होती
फिर भी कारोबार इसका खूब चलता है…
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दुश्मनों से मुहब्बत होने लगी है मुझे,
जैसे-जैसे दोस्तों को आज़माता जा रहा हूँ मैं…
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आइना देखा जब ,तो खुद को तसल्ली हुई…
ख़ुदग़र्ज़ी के ज़माने में भी कोई तो जानता है हमें।
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मैंने बचपन में एक बार माँ से कहा, मां कचरेवाला आया है,
मां ने जवाब दिया, बेटा कचरे वाले तो हम हैं,वो तो सफ़ाई वाला है,
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दिल से बाहर निकलने का रास्ता तक ना ढूंढ सकी वो,
दावा करती थी जो मेरी रग रग से वाकिफ होने का….
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क्या बात है बड़े चुप चाप से बैठे हो,
कोई बात दिल पे लगी है या दिल लगा बैठे हो…
*******
दिल से बाहर निकलने का रास्ता तक ना ढूंढ सकी वो,
दावा करती थी जो मेरी रग रग से वाकिफ होने का..
*******
तुम मेरे रूठने पर इस तरह मनाती हो…
कभी तो ज़ी चाहता है बे-वजह तुमसे रूठ जाऊं…!!
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मरने की लाखो वजह देती है दुनिया
पर जीने की वजह तो बस एक तू है ..
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वर्ना काजल उसकी आखो में यु ना फेला होता.
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मैं खुद कभी बेचा करता था दर्दे दिल की दवा…
पर ए दोस्त…
“आज वक़्त मुझे अपनी ही दुकान पर ले आया…!!
*******
मेरी जरुरत ओर ख्वाहिस दोनो तूम हो..
अगर रब की कभी महेर बानी हुई ..
तो कोई ऐक तो पुरी होगी…
*******
सालो गुजर गए रोकर नहीं देखा
आँखों में नींद थी सोकर नहीं देखा
वो क्या जाने दर्द मोहोबत का
जिसने कभी किसी को खोकर नहीं देखा.
*******
मुझे यकीन है मोहब्बत उसी को कहते हैं,
के ज़ख़्म ताज़ा रहे और निशान चला जाए..
*******
वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी….
फिर क्यों उसे “चाँद” और मुझे “आवारा” कहते हैं लोग…
*******
जानता हूँ खुद को…
इसलिए खुद से बहस नहीं करता…
*******
मैं झुक गया तो वो सज़दा समझ बैठे,
मैं तो इन्सानियत निभा रहा था,
वो खुद को ख़ुदा समझ बैठे।
*******
कोई बात तो है तुझमें ज़ुदा सी,
देखूँ जितना भी तुझे कम ही लगता है।
*******
यूँ तो हर रंग का मौसम मुझ से वाकिफ है मगर
रात की तन्हाई मुझे कुछ अलग ही जानती है….
*******
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे;
जब कभी हम दोस्त हो जायें तो शर्मिंदा न हों।
*******
दोस्तों—-
मजाक और पैसा काफी सोच समज
कर उडाना चाइए…
*******
नींद और मौत में क्या फर्क है.?
किसी ने क्या खूबसूरत जवाब दिया है.
“नींद तो आधी मौत है”,
और
“मौत मुकम्मल नींद है”
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गुज़र गया आज का दिन भी यूं ही बेवजह…
ना मुझे फुरसत मिली,
ना तुझे ख़्याल आया…!!!
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तेरी आँखों की तौहीन नहीं तो और क्या हे यह…
मैंने देखा, तेरे चाहने वाले, कल शराब पी रहे थे..
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“हर बात मानी है तेरी सर झुका कर ए जिंदगी,
हिसाब बराबर कर…. तू भी तो कुछ शर्तें मान मेरी”
*******
कश्ती के मुसाफिर ने समँदर नहीँ देखा ।
आँखो को देखा पर दिल के अन्दर नहीँ देखा ।
पत्थर समझते है मुझे मेरे चाहने वाले ।
हम तो मोम थे किसी ने छुकर नहीँ देखा ।
*******
“दील से लिखी बात दील को छू जाती है,
ये अक्सर अनकही बात कह जाती है,
कुछ लोग दोस्ती कॆ मायनॆ बदल दॆतॆ है,
और कुछ लोगो कि दोस्ती सॆ दुनिया बदल जाती है.”
*******
सब कुछ झूठ है लेकिन फिर भी बिलकुल सच्चा लगता है.
जानबूझकर धोखा खाना कितना अच्छा लगता है.
*******
शराबी अच्छे हैं दुनियादार लोगों से . . .
ग्लास जरूर तोड़ते हैं लेकिन दिल नहीं . . .
*******
एक निवाले के लिए मैंने जिसे मार दिया,
वह परिन्दा भी कई दिन का भूखा निकला ।
*******
वो कहते हैं न …
कि कुछ सोच लो बेहतर…
तो बेहतर होगा …
मैंने सोचा कि बेहतर है…
तुझे सोचूं ..
तुझसे बेहतर क्या होगा..!!
*******
किसने माँगी थी इन आँखों से रिहाई
जाने किस ज़ुर्म की सज़ा है ये जुदाई …
*******
मेरी यादों की कश्ती उस समुन्दर में तैरती है,
जहाँ पानी सिर्फ और सिर्फ मेरी पलकों का होता है..
*******
ऐ बेखबर यु बेवजह बेरुखी ना किया कर,
कोई टूट के बिखर सा जाता है,
इक तेरे यु लहजा बदलने के मजाक से……….
*******
मैं तो ज़हर भी पी लूँगा इक तेरी ख़ातिर,
फ़राज़
पर शर्त है, तू सामने बैठ मेरे,,, मेरी साँसों के टूटने तक……
*******
मेरे जखमों पर मरहम नालगाओ, हमें मजा आता है.
हर चीख के साथ तेरा चेहरा जो नजर आता है..!
*******
तेरे चले जाने के बाद
मोहब्बत नहीं की किसी से
छोटी सी जिन्दगी में
किस किस को आजमाते…
*******
मत किया करिये दिन के उजालों की ख्वाहिशें ऐ हजूर,
ये आशिक़ों की बस्तियाँ हैं यहाँ सूरज से नहीं, दीदार से दिन निकलता हैं।
*******
अंत में लीखी है दोनों की बर्बादी,
आशीक़ हो या हो कोई आतंकवादी…
*******
फिर नहीं बसते वो दिल जो एक बार टूट जाते हैं…!
कब्रे कितनी ही सवारो कोई ज़िंदा नहीं होते हे…!!
*******
आज रब से मुलाकात की;
थोड़ी सी आपके बारे में बात की;
मैंने कहा क्या दोस्त है;
क्या किस्मत पाई है;
रब ने कहा संभाल के रखना;
मेरी पसंद है, जो तेरे हिस्से में आई है…..
*******
हाथ की लकीरें पढने वाले ने तो….
मेरे होश ही उड़ा दिये..!
मेरा हाथ देख कर बोला…
“तुझे मौत नहीं किसी की चाहत मारेगी…
*******
इज़ाज़त हो तो कुछ अर्ज़ करूँ ??
खेल चुके हो तो ” दिल” वापस कर दो…
*******
तकदीर को जब बदलना है,बदल जायेगी…
फिलहाल लगा हुआ हुँ आदत बदलने में”!
*******
जिस जिस को भी सुनाते है हम अपना अफसाना ए उल्फत।
हर शख्स अपनी आपबीती समझ कर रोने लगता है।।
*******
हर बार मुकद्दर को को कुसूरवार कहना अच्छी बात नहीं ,
कभी कभी हम उन्हें मांग लेते है जो किसी और के होते है …….!!
*******
निगाहों से भी चोट लगती है
जब हमें कोई देखकर भी अनदेखा कर देतें हैं !!
*******
कितना नादान है ये दिल,
कैसे समझाऊँ की जिसे तू खोना नही चाहता,
वो तेरा होना नही चाहता……
*******
सुना है दुआओं की क़ीमत नहीं होती
फिर भी कारोबार इसका खूब चलता है…
*******
दुश्मनों से मुहब्बत होने लगी है मुझे,
जैसे-जैसे दोस्तों को आज़माता जा रहा हूँ मैं…
*******
आइना देखा जब ,तो खुद को तसल्ली हुई…
ख़ुदग़र्ज़ी के ज़माने में भी कोई तो जानता है हमें।
*******
मैंने बचपन में एक बार माँ से कहा, मां कचरेवाला आया है,
मां ने जवाब दिया, बेटा कचरे वाले तो हम हैं,वो तो सफ़ाई वाला है,
*******
दिल से बाहर निकलने का रास्ता तक ना ढूंढ सकी वो,
दावा करती थी जो मेरी रग रग से वाकिफ होने का….
*******
क्या बात है बड़े चुप चाप से बैठे हो,
कोई बात दिल पे लगी है या दिल लगा बैठे हो…
*******
दिल से बाहर निकलने का रास्ता तक ना ढूंढ सकी वो,
दावा करती थी जो मेरी रग रग से वाकिफ होने का..
*******
तुम मेरे रूठने पर इस तरह मनाती हो…
कभी तो ज़ी चाहता है बे-वजह तुमसे रूठ जाऊं…!!
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मरने की लाखो वजह देती है दुनिया
पर जीने की वजह तो बस एक तू है ..
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