देर रात तक जागना है, ख़तरनाक !

शोध में पाया गया कि एक रात की नींद खराब होने से सुबह तक एक स्वस्थ युवा के शरीर में दो खास तरह के ब्लड मॉलिक्यूल्स (न्यूरॉन स्पेसिफिक इनोलेज) एनएसई और एस-100 बी का जमाव बढ़ जाता है। इन मॉलिक्यूल्स की संख्या में सिर्फ एक रात ना सोने की वजह से करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
रिसर्चर्स ने बताया कि नींद नहीं आने की वजह से इन मॉलिक्यूल्स के खून में बढ़ने से यह साबित होता है कि नींद की कमी से 'ब्रेन टिशू' में नुकसान हो सकता है। पंद्रह नॉर्मल वेट वाले पुरुषों ने इस स्टडी में हिस्सा लिया। एक बार वे करीब 8 घंटे के लिए सोए, जबकि दूसरी बार वे एक पूरी रात नींद से वंचित रहे।
स्टडी की अगुआई करने वाले उपसाला यूनिवर्सिटी के रिसर्चर क्रिस्टियन बेनेडिक्ट ने कहा, 'हमने ऑब्जर्व किया कि पूरी रात नहीं सोने से ब्लड मॉलिक्यूल्स एनएसई और एस- 100बी के जमाव में वृद्धि हुई। आमतौर पर इन ब्रेन मॉलिक्यूल्स के ब्लड में बढ़ने से दिमाग डैमेज हो सकता है।'
यह स्टडी जर्नल 'स्लीप' में प्रकाशित हुई है। बेनेडिक्ट ने कहा, 'हमारे रिज्ल्ट्स बताते हैं कि नींद की कमी न्यूरोडिजनरेटिव प्रोसेस को बढ़ावा दे सकती है। हमारे टेस्ट के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि एक रात की अच्छी नींद ब्रेन की हेल्थ को बनाए रखने के लिए अहम है।'
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अमेरिका में हुई एक स्टडी से पता चला है कि जो टीनेजर्स जल्दी सोने की हैबिट रखते हैं उनके डिप्रेशन में जाने के चांसेस कम होते हैं। उन्हें सुसाइड करने जैसे खयाल भी कम आते हैं।
इसके ऑपोजिट जो युवा रात में देर से सोते हैं उनके डिप्रेशन में जाने की पॉसिबिलिटी 24 पर्सेंट ज्यादा होती है। ऐसे लोगों में सुसाइड करने के खयाल भी 20 पर्सेंट ज्यादा आते हैं। जो युवा वीक में 5 घंटे या इससे कम सोते हैं उनमें आठ घंटे तक सोने वालों के कंपेरिजन में डिप्रेशन आने के चांसेस 71 पर्सेंट ज्यादा होते हैं।
स्टडी के तहत कराए गए सर्वे में जिन लोगों ने पूरी नींद ली थी उनमें डिप्रेशन और सुसाइड के विचार कम पाए गए। कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के रिसर्चर्स के मुताबिक कम नींद डिप्रेशन में जाने की बड़ी वजह हो सकती है।