जाने कैसे आखिर फेसबुक की लत को छोड़ें ?
फेसबुक और अन्य सोशल साइट्स युवाओं के बीच
खासी प्रचलित हैं। या कहें कि युवा खासकर शहरों और कस्बों में रहने वाले
इनके बिना अपने जीवन की कल्पना भी न कर पायें। ये साइट्स उन्हें दुनिया
से जोड़ने का काम करती हैं। लेकिन, हाल ही के दिनों में ऐसे भी कई मामले
सामने आये हैं, जिसमें इन्हीं साइट्स की वजह से संबंधों में दरार पड़ गयी।
कई बार इन साइट्स की लत इस हद तक हमारे व्यक्तित्व और जीवन को प्रभावित करने लगती है कि व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार रहने लगता है। तब मनोवैज्ञानिक उन्हें इस साइट्स से दूर रहने की हिदायत देते हैं। तो, जरूरी बात यह है कि इन साइट्स की अति आपके लिए अच्छी नहीं। इसलिए जरूरी है कि इनसे थोड़ा दूर भी रहा जाए। घंटों इन सोशल साइट्स का प्रयोग करने का असर आपके दिमाग पर पड़ता है। फेसबुक या अन्य सोशल साइट पर आपके स्टेटस पर किये गये नकारात्मक कमेंट तनाव का कारण बन सकते हैं।
फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्स ऐप, गूगल प्लस जैसे कई सोशल साइट्स युवाओं में सबसे अधिक प्रचलित है। ये किसी बीमारी से कम नहीं। सोशल साइट्स लोगों को सामाजिक तौर पर जोड़ती हैं, इससे आप दूर रहकर अपने करीबी लोगों और दोस्तों से जुडते हैं। इस पर नये रिश्ते बनते हैं और रिश्ते टूटते भी है, कुछ लोगों को अपना जीवन साथी भी सोशल साइट्स पर मिल जाता है और कुछ लोग ऑनलाइन डेटिंग करते हैं। लेकिन इससे अधिक देर तक चिपके रहना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए सही नहीं, इसलिए इससे दूरी बनाना ही जरूरी है।
सोशल साइट्स से दूर रहने के बारे में अपने दोस्तों को बतायें, उनसे यह भी शेयर करें कि इससे बिना आप कितना अच्छा महसूस कर रहे हैं।
कई बार इन साइट्स की लत इस हद तक हमारे व्यक्तित्व और जीवन को प्रभावित करने लगती है कि व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार रहने लगता है। तब मनोवैज्ञानिक उन्हें इस साइट्स से दूर रहने की हिदायत देते हैं। तो, जरूरी बात यह है कि इन साइट्स की अति आपके लिए अच्छी नहीं। इसलिए जरूरी है कि इनसे थोड़ा दूर भी रहा जाए। घंटों इन सोशल साइट्स का प्रयोग करने का असर आपके दिमाग पर पड़ता है। फेसबुक या अन्य सोशल साइट पर आपके स्टेटस पर किये गये नकारात्मक कमेंट तनाव का कारण बन सकते हैं।
फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्स ऐप, गूगल प्लस जैसे कई सोशल साइट्स युवाओं में सबसे अधिक प्रचलित है। ये किसी बीमारी से कम नहीं। सोशल साइट्स लोगों को सामाजिक तौर पर जोड़ती हैं, इससे आप दूर रहकर अपने करीबी लोगों और दोस्तों से जुडते हैं। इस पर नये रिश्ते बनते हैं और रिश्ते टूटते भी है, कुछ लोगों को अपना जीवन साथी भी सोशल साइट्स पर मिल जाता है और कुछ लोग ऑनलाइन डेटिंग करते हैं। लेकिन इससे अधिक देर तक चिपके रहना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए सही नहीं, इसलिए इससे दूरी बनाना ही जरूरी है।
इस शोध के बारे में जानें
यह बात तो सभी जानते हैं कि सोशल साइटों पर
घंटे बिताने वाले लोग अपनी वास्तविक दुनिया से बहुत दूर हो जाते हैं।
लेकिन एक नए अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि वे लोग जो इन साइटों के
माध्यम से ज्यादा दोस्त बनाते हैं उनके
निजी विशेषकर प्रेम संबंधों को नकारात्मक प्रभावों से जूझना पड़ता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब सोशल मीडिया और सोशल लाइफ आपस में टकराते हैं तो इससे नुकसान केवल सोशल लाइफ को ही होता है और इसका असर आपकी संबंधों पर पड़ता है।
फॉक्स न्यूज में प्रकाषित रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे हालात संबंधों में अजीब तरह के तनाव विकसित करते हैं, आपको ऐसी प्रतिस्पर्धा को जीतना होता है जिसके विषय में आपने ना कभी सोचा था और ना ही जिसके लिए आप कभी खुद को तैयार कर सकते हैं। इस सर्वेक्षण के अनुसार कई तरीकों द्वारा सोशल मीडिया संबंधों को प्रभावित करता है। सबसे पहले अगर आप अपनी प्रोफाइल में जरूरत से ज्यादा जानकारी डालते हैं और दूसरा जब आपके प्रेमी या जीवनसाथी के विपरीत लिंग के दोस्त उन्हें तस्वीरों और वीडियो में टैग करते हैं और तीसरा जब आप अजनबियों को अपनी फ्रेंडलिस्ट में जगह देने लगते हैं। इसके अलावा अगर आपका पूर्व प्रेमी या प्रेमिका आपको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता है तो भी आपका संबंध प्रभावित होता है और इसका प्रभाव आपसी मनमुटाव होता है।
निजी विशेषकर प्रेम संबंधों को नकारात्मक प्रभावों से जूझना पड़ता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब सोशल मीडिया और सोशल लाइफ आपस में टकराते हैं तो इससे नुकसान केवल सोशल लाइफ को ही होता है और इसका असर आपकी संबंधों पर पड़ता है।
फॉक्स न्यूज में प्रकाषित रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे हालात संबंधों में अजीब तरह के तनाव विकसित करते हैं, आपको ऐसी प्रतिस्पर्धा को जीतना होता है जिसके विषय में आपने ना कभी सोचा था और ना ही जिसके लिए आप कभी खुद को तैयार कर सकते हैं। इस सर्वेक्षण के अनुसार कई तरीकों द्वारा सोशल मीडिया संबंधों को प्रभावित करता है। सबसे पहले अगर आप अपनी प्रोफाइल में जरूरत से ज्यादा जानकारी डालते हैं और दूसरा जब आपके प्रेमी या जीवनसाथी के विपरीत लिंग के दोस्त उन्हें तस्वीरों और वीडियो में टैग करते हैं और तीसरा जब आप अजनबियों को अपनी फ्रेंडलिस्ट में जगह देने लगते हैं। इसके अलावा अगर आपका पूर्व प्रेमी या प्रेमिका आपको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता है तो भी आपका संबंध प्रभावित होता है और इसका प्रभाव आपसी मनमुटाव होता है।
कितना समय खर्च करते हैं
फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्किंग
साइटों पर आप कितना समय बर्बाद करते हैं इसके बारे में सोचिये। अगर हर रोज
आप 3-4 घंटे इस पर खर्च कर रहे हैं तो इस कीमती समय को किसी जरूरी का में
लगा सकते हैं। सुबह उठकर सोशल नेटवर्किंग साइट को चेक करने से बेहतर है कि
आप थोड़ी देर व्यायाम करें। डिनर के बाद इन साइटों से दूर रहकर घूमने
जायें, इससे आपका खाना भी पच जायेगा और आप फिट भी रहेंगे।
और काम करें
सोचिये कि फेसबुक या अन्य सोशल नेटवर्किंग
साइट पर समय बर्बाद करने के अलावा आप अन्य जरूरी क्या-क्या काम कर सकते
हैं। अगर आपने 3 घंटे रोज इन पर खर्च किये हैं तो इतने समय के लिए कोई
पार्ट टाइम जॉब कीजिये इससे आपको पैसे भी मिलेंगे, इतना वक्त अपने घरवालों
के साथ बिता सकते हैं, कोई अच्छी किताब पढ़ें, जरूरतमंदों की सेवा कीजिए,
कोई क्रिएटिव काम कर सकते हैं। यानी अगर आप इनसे दूर रहेंगे तो अपने लिये
कुछ बेहतर कर पायेंगे।
सोचिये जब ये नहीं था तब क्या था
फेसबुक और अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट तो
21वीं सदी में आयी, इससे पहले इनका कोई नामो-निशां नहीं था। फिर भी लोग
एक-दूसरे से जुड़े थे, लोगों में एक-दूसरे के पास जाने और उनसे मिलने का
समय था। लोग सोशल नेटवर्किंग साइट पर समय बर्बाद करने के बजाय फिटनेस पर
ध्यान देते थे। आप उस समय के बारे में सोंचे और इनसे दूर रहने की कोशिश
कीजिए।
डी-एक्टिवेट कीजिये
वर्तमान में लोगों की सबसे अहम जरूरत बन
गये हैं फेसबुक और अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट्स, वास्तव में युवओं को
इनके बिना जिंदगी अधूरी लगने लगी है। ऐसे में इनसे कैसे दूर रहा जा सकता
है, लेकिन खुद के फायदे के लिए जरूरी है कि आप इनसे दूर रहने की कोशिश
कीजिए। अगर आप अचानक से इससे दूर नहीं जा पा रहे हैं तो थोड़े समय के इसे
डी-एक्टिवेट कीजिए। फिर देखिये कि अगर आप इनके बिना रह पा रहे हैं तो ये
कोशिश बार-बार कीजिए।
इंटरनेट कनेक्शन कटवायें
अपने घर से इंटरनेट का कनेक्शन कटवा
दीजिए, अगर आपके पास डेटा कार्ड है या वाई-फाई है तो उसका प्रयोग भी न
करें। देश-दुनिया की खबरें जानने के लिए समाचार पत्र और टेलीवीजन का सहारा
लीजिए। फिर देखिये कुछ दिनों में आपके ऊपर से इन सोशल साइट्स का भूत कैसे
उतरता है और आप इनके बिना कैसे जीना सीखते हैं।
सोशल साइट्स से दूर रहने के बारे में अपने दोस्तों को बतायें, उनसे यह भी शेयर करें कि इससे बिना आप कितना अच्छा महसूस कर रहे हैं।