हर साँस में हरचंद महकता हुआ तू है
हर साँस में हरचंद महकता हुआ तू है
धड़कन का बदन हिज्र के काँटों से लहू है
दिल, गिरती हुई बर्फ़ में, ढलता हुआ सूरज
जिस सिम्त भी उठती है नज़र, आलम-ए-हू है
शायद के अभी आस कोई क़त्ल हुई है
रक़्साँ मेरे सीने में किसी ख़ूँ की बू है
हर टीस के माथे पे मेरा नाम लिखा है
हर दर्द के होंटों की सदा मेरा लहू है
दिखलाऊँ किसे ज़ख़्म तेरे हिज्र का जानाँ
मुमकिन ही कहाँ चाक-ए-जुदाई का रफ़ू है
Har SaaNs meN harchund mahektaa huaa tu haiधड़कन का बदन हिज्र के काँटों से लहू है
दिल, गिरती हुई बर्फ़ में, ढलता हुआ सूरज
जिस सिम्त भी उठती है नज़र, आलम-ए-हू है
शायद के अभी आस कोई क़त्ल हुई है
रक़्साँ मेरे सीने में किसी ख़ूँ की बू है
हर टीस के माथे पे मेरा नाम लिखा है
हर दर्द के होंटों की सदा मेरा लहू है
दिखलाऊँ किसे ज़ख़्म तेरे हिज्र का जानाँ
मुमकिन ही कहाँ चाक-ए-जुदाई का रफ़ू है
Dharkan ka badan hijr ke kaaNtoN se lahoo hai
Dil, girti hui barf meN, dhalta hua sooraj
jis simt bhi uth-tee hai nazar, aalam-e-hoo hai
Shayad ke abhi aas koi qatl huee hey
RaqsaaN merey seeney meN kisi khoon ki boo hai
Har tees ke mathey pe mera naam likha hai
Har dard ke hoNtoN ki sada mera lahoo hai
DikhlaooN kisey zakhm terey hijr ka janaN
Mumkin hi kahaaN chaak-e-judaee ka rafoo hai!