एक आरज़ू सी दिल में अक्सर छुपाये फिरता हूँ प्यार करता हूँ तुझसे पर कहने से डरता हूँ कही नाराज़ न हो जाओ मेरी गुस्ताखी से तुम इसलिए खामोश रहके भी तेरी धडकनों को सुना करता हूँ ...!