घर से मेरे हर ख़ुशी निकली

ज़िन्दगी तुझसे दुश्मनी निकली
दफ़अतन याद आ गया कोई
मेरी आँखों में फिर नमी निकली
मैंने दामन पकड़ लिया उसका
ग़म के साये में फिर ख़ुशी निकली
दोस्तों के उतर गये चेहरे
मेरे होंटों से जब हँसी निकली
मुद्दतों बाद उसको भूली हूँ
दिल से यादों की पालकी निकली
हम फ़ना हो गये हैं उल्फ़त में
उसकी चाहत तो दिल्लगी निकली
सब मुझे 'शैल' चाहते थे मगर
मैं तो दीवानी आपकी निकली