पन्नों में दबी प्रेम कहानी
पन्नों के बीच
सूखी सी पाँखुरियाँ
गीली सी यादें !
तुम्हारी बातें
आती हैं याद जब
जगाती रातें !
भीगी सड़क
रिमझिम फुहार
हाथों में हाथ !
जाना था साथ
ज़मीन आसमान
जहाँ हों पास !
जाना था साथ
ज़मीन आसमान
जहाँ हों पास !
तोड़ा गुलाब
अलकों में सजाया
मन हर्षाया !
कितनी बातें
प्यार की कहानी में
कितने किस्से !
उठाई गयीं
ढेर सारी कसमें
ढेर से वादे !
बातों बातों में
जाने कब आ गयी
विदा की बेला !
बिछड़ा साथी
हुआ मन अकेला
छूटा जो हाथ !
आँसू का रेला
नैनों से बह चला
डूबा संसार !
जी भर आया
धीमे से सहलाया
लाल गुलाब !
प्यारा तोहफा
किताब में दबाया
पन्नों के बीच !
हुआ विछोह
अलग हुए रास्ते
फिर ना मिले !
व्यस्त हो गये
अपने संसार में
सदियाँ बीतीं !
बरसों बाद
मिली जो अचानक
वही किताब !
भीगी पलकें
छुल गया हाथ से
सूखा गुलाब !
कितना कुछ
जो बीता मन पर
याद आ गया !
विरहाग्नि में
पल-पल जलना
याद आ गया !
याद आ गया
दिया तुम्हारा वह
लाल गुलाब !
याद आ गयी कितना कुछ
जो बीता मन पर
याद आ गया !
विरहाग्नि में
पल-पल जलना
याद आ गया !
याद आ गया
दिया तुम्हारा वह
लाल गुलाब !
वह प्रेम कहानी
पन्नों में दबी !