यह तजरिबा हुआ है दुनिया में हमको आकर
यह तजरिबा हुआ है दुनिया में हमको आकर
काँटों से दिल लगाओ फूलों से ज़ख़्म खाकर
हँसिए तो आप लेकिन यह भी नज़र में लाकर
सौ बार रोयिएगा इक बार मुस्कुरा कर
इस अहद के उजाले ने यूँ डसा है उसको
ख़िलवत नशीं हुआ है सारे दिए बुझाकर
जब कुछ नहीं तअल्लुक़ तो दिल के मक़बरे में
यह कौन आ के रखता है इक दिआ जलाकर
बाज़ार गर्म हर-सू है ज़र-परस्तियों का
तू बंदाए-ख़ुदा है तू तो ख़ुदा-ख़ुदा कर
जिस आइने को लेकर तुम ‘आफ़ताब’ उठे हो
मसलूब हो गये सब वह आइना दिखा कर
काँटों से दिल लगाओ फूलों से ज़ख़्म खाकर
हँसिए तो आप लेकिन यह भी नज़र में लाकर
सौ बार रोयिएगा इक बार मुस्कुरा कर
इस अहद के उजाले ने यूँ डसा है उसको
ख़िलवत नशीं हुआ है सारे दिए बुझाकर
जब कुछ नहीं तअल्लुक़ तो दिल के मक़बरे में
यह कौन आ के रखता है इक दिआ जलाकर
बाज़ार गर्म हर-सू है ज़र-परस्तियों का
तू बंदाए-ख़ुदा है तू तो ख़ुदा-ख़ुदा कर
जिस आइने को लेकर तुम ‘आफ़ताब’ उठे हो
मसलूब हो गये सब वह आइना दिखा कर