Mix Shayri collection 47 / एक से बढ़ कर एक चुनिन्दा मिक्स शायरी संग्रह 47
मंज़िलों से गुमराह भी कर देते हैं कुछ लोग
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता.
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता.
दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो
ये ओर बात है कि किस्मत दग़ा कर गयी।
कौन कहता है मुसाफिर जख्मी नही होते
रास्ते गवाह हैं कम्बख्त गवाही नही देते।
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो ।
इक रात चाँदनी मिरे बिस्तर पे आई थी
मैं ने तराश कर तिरा चेहरा बना दिया ।
न तो देर है, न अंधेर है .. रे मानव!
तेरे कर्मों का सब फेर है .. शुभ रात्रि।
सुख भोर के टिमटिमाते हुए तारे की तरह है
देखते ही देखते ये ख़त्म हो जाता है …!
जब भी अंधेरा गहराता है…
उजाला उसका समाधान बनकर आ जाता है…!
एक ही समानता है…पतंग औऱ जिन्दगी में
ऊँचाई में हो तब तक ही ‘वाह – वाह’ होती है ।
Kuch door tak to jaise koi mere sath tha
Phir… apne sath aap hi chalna paDa mujhe!
मैं कड़ी धुप में चलता हु इस यकींन के साथ,
मैं जलूँगा तो मेरे घर में उजाले होंगे.!!
मैं जलूँगा तो मेरे घर में उजाले होंगे.!!
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई..
हम न सोए रात थक कर सो गई.
लफ़्ज़ों से बना इंसाँ लफ़्ज़ों ही में रहता है..
लफ़्ज़ों से सँवरता है लफ़्ज़ों से बिगड़ता है .
ज़िंदगी ज़ोर है रवानी का… क्या थमेगा बहाव पानी का.
रोती है आँख जलता है ये दिल जब..
अपने घर के फेंके दिये से आँगन पराया जगमगाता है.
क्या साथ लाए क्या छोड़ आए..
रस्ते में हम मंज़िल पे जा के ही याद आता है.
आदमी मुसाफ़िर है आता है जाता है..
आते-जाते रस्ते में यादें छोड़ जाता है.
कोई भी हो हर ख़्वाब तो अच्छा नही होता..
बहुत ज्यादा प्यार भी अच्छा नहीं होता है.
इन ग़म की गलियों में कब तक ये दर्द हमें तड़पाएगा..
इन रस्तों पे चलते-चलते हमदर्द कोई मिल जाएगा.
जो बात निकलती है दिल से कुछ उसका असर होता है..
कहने वाला तो रोता है सुनने वाला भी रोता है.
हर रिश्ते मे सिर्फ नूर बरसेगा..
शर्त बस इतनी है कि रिश्ते में शरारतें करो साजिशें नहीं।
शर्त बस इतनी है कि रिश्ते में शरारतें करो साजिशें नहीं।
मोहब्बत अब समझदार हो गयी है
हैसियत देख कर आगे बढ़ती है।
आराम से कट रही थी तो अच्छी थी जिंदगी
तू कहाँ इन आँखों की बातों में आ गयी।
हीरों की बस्ती में हमने कांच ही कांच बटोरे हैं
कितने लिखे फ़साने फिर भी सारे कागज़ कोरे है।
दिलों में खोट है ज़ुबां से प्यार करते हैं
बहुत से लोग दुनिया में यही व्यापार करते हैं।
सज़ा मिली है इसे, इसकी वफाओं के लिये!
दिल वो मुज़रिम है के, जिस पर कोई इल्ज़ाम नहीं!
मेरे मुन्सिफ को मगर, ये भी तो मंज़ूर न था!
दिल ने इन्साफ ही माँगा था, कुछ ईनाम नहीं!
खुशबु आ रही है कहीं से ताज़े गुलाब की
शायद खिड़की खुली रेह गई होगी उनके मकान की।
तेरी मोहब्बत की तलब थी इस लिए हाथ फैला दिए
वरना हमने तो कभी अपनी ज़िंदगी की दुआ भी नही माँगी।
बेगुनाह कोई नहीं, सबके राज़ होते हैं..
किसी के छुप जाते हैं, किसी के छप जाते हैं..।
आज धुन्ध बहुत है मेरे शहर में,
अपने दिखते नहीं और जो दिखते है वो अपने नहीं।
अपने दिखते नहीं और जो दिखते है वो अपने नहीं।
कहो तो थोड़ा वक्त भेज दूँ,
सुना है तुम्हें फुर्सत नहीं मुझसे मिलने की।
हम कुछ ना कह सके उनसे, इतने जज्बातों के बाद..
हम अजनबी के अजनबी ही रहे इतनी मुलाकातो के बाद।
जो लम्हा साथ हैं उसे जी भर के जी लेना
कम्बख्त ये जिंदगी भरोसे के काबिल नहीं है।
मोहब्बत की आजमाइश दे दे कर थक गया हूँ..
ऐ खुदा किस्मत मेँ कोई ऐसा लिख दे जो मौत तक वफा करे
खामोश बैठें तो वो कहते हैं उदासी अच्छी नहीं..
ज़रा सा हँस लें तो मुस्कुराने की वजह पूछ लेते हैं।
गिरते हुए आँसुओं को कौन देखता है..
झूठी मुस्कान के दीवाने हैं सब यहाँ।
इंसान बुलबुला है पानी का जी रहे हैं कपडे बदल बदल कर..
एक दिन एक ‘कपडे’ में ले जायेंगे कंधे बदल बदल कर।
तमाम गिले-शिकवे भुला कर सोया करो यारो..
सुना है मौत किसी को मुलाक़ात का मौका नही देती।
एक रास्ता ये भी है मंजिलों को पाने का..
कि सीख लो तुम भी हुनर हाँ में हाँ मिलाने का।